Sunday, July 6, 2025

हार्ट अटैक आने पर न करें अनदेखी


पहले जहां हार्ट डिजीज सिर्फ उम्रदराज लोगों में देखने को मिलती थी, वहीं अब 30-40 की उम्र में भी लोग हार्ट अटैक और ब्लॉकेज का शिकार हो रहे हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनिया में हर साल लाखों लोग दिल की बीमारियों से अपनी जान गंवाते हैं और इसका सबसे बड़ा कारण है हमारी अनहैल्दी लाइफस्टाइल, लगातार जंक फूड खाना, स्ट्रेस में रहना, नींद की कमी, स्मोकिंग करना, व्यायाम न करना दिल को कमजोर बना रहे हैं। 


कब होती है इमरजेंसी की स्थिति?

कार्डियक अरेस्ट में मरीज अचानक बेहोश हो जाता है, दिल की धड़कन रूक जाती है और बीपी गिर जाता है। ऐसे में सीपीआर देकर मरीज को बचाया जा सकता है। 


कैसे जानें हार्ट अटैक के लक्षण?

अगर सीने में भारीपन, घुटन, कसाव जैसा एहसास, अचानक तेज पसीना आना जैसे लक्षण दिखें खासकर डायबिटीज या ब्लड प्रेशर के मरीजों में तो तुरंत मेहनत का काम रोककर आराम करें और डॉक्टर से संपर्क करें। कई बार लोग इसे एसिडिटी समझकर नजरअंदाज कर देते है, जबकि समय पर जांच और इलाज से गंभीर स्थिति से बचा जा सकता है। 


क्या होता है गोल्डन आवर टाइम?

हार्ट अटैक के मामले में 90 मिनट का गोल्डन आवर बहुत अहम माना जाता है। जितनी जल्दी मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाए, उतनी ही उसके बचने की संभावना बढ़ जाती है। 


कार्डियक अरेस्ट में बहुत जरूरी होती है सीपीआर

कार्डियक अरेस्ट में मरीज अचानक बेहोश हो जाता है, दिल की धड़कन रूक जाती है और बीपी गिर जाता है। ऐसे में सीपीआर अहम है। इसमें छाती पर दबाव और कृत्रिम सांस देकर जान बचाने की कोशिश की जाती है। 


पहचानें हार्ट अटैक का दर्द

  • सीने में दर्द या दबाव, जबड़े, दोनों कंधो, कंधों के बीच या बाएं हाथ में दर्द। 
  • अत्याधिक पसीना आना, घबराहट, सांस फूलना, चक्कर आना या बेहोश होना। 
  • कभी-कभी पेट या छाती के निचले हिस्से में जलन होना। 


समय रहते बदल लें जीवनशैली

  • एक्सरसाइज करें- हफ्ते में 4-5 दिन 35 से 45 मिनट की ब्रिस्क वॉक, 10-20 मिनट का शारीरिक व्यायाम एवं 15 मिनट तक योगासन दिल के लिए सेहतमंद है। 
  • पूरी नींद लें- लगातार नींद में कमी हो तो हार्ट अटैक का खतरा 23 फीसदी तक बढ़ जाता है। रात में 7 से 8 घंटे की पूरी नींद लेना जरूरी है। 
  • मोटापा से बचें- ओवरवेट होते ही समस्या शुरू हो जाती है। बढ़ता हुआ वजन हार्ट पर दबाव डालता है और बैड कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, बीपी जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ता है। खानपान एवं व्यायाम से मोटापा कम कर सकते हैं। 


दिल से जुड़ी बीमारियों के इलाज में इन तकनीकों का ज्यादा प्रयोग होता है।

  • एंजियोग्राफी- यह एक जांच है जिसमें धमनियों में डाई (रंग) डालकर देखा जाता है कि ब्लॉकेज कहां है। 
  • एंजियोप्लास्टी- जब किसी धमनी में ब्लॉकेज मिल जाता है तो उसे खोलने के लिए एक पतली ट्यूब (कैथेटर) डालकर ब्लॉकेज वाली जगह पर बलून फुलाया जाता है, जिससे धमनी में खून का प्रवाह सही हो जाता है। 
  • हार्ट स्टेंट- एंजियोप्लास्टी के बाद धमनी को दोबारा सिकुड़ने से बचाने के लिए एक छोटा जालीदार ट्यूबनुमा उपकरण लगाते हैं, यही स्टेंट होता है। 
  • पेसमेकर- पेसमेकर एक छोटा, इलेक्ट्रॉनिक, बैटरी-संचालित उपकरण है जिसे असामान्य दिल की धड़कन (एरिथमिया) को ठीक करने के लिए सर्जरी द्वारा त्वचा के नीचे लगाया जाता है। इसे सीने की त्वचा के नीचे लगाया जाता है, यह हृदय की लय की निगरानी करता है और यदि धड़कन बहुत धीमी, बहुत तेज, या अनियमित हो जाती है, तो यह विद्युत संकेत भेजकर उसे सामान्य करता है। पेसमेकर, हृदय को नियमित रूप से धड़कने में मदद करता है, जिससे रक्त प्रवाह बेहतर होता है।

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