Jun 19, 2025
भोपाल- विश्व सेल दिवस के उपलक्ष्य में बुधवार को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय भोपाल द्वारा आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी में एनसीसी कैडेट्स के लिए विशेष स्क्रीनिंग एवं जागरूकता शिविर आयोजित किया गया। शिविर में सिकल सेल एवं हीमोफिलिया रोग की जांच के साथ साथ कैडेट्स का सामान्य स्वास्थ्य परीक्षण भी किया गया। शिविर में 162 कैडेट्स ने स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ लिया।
शिविर आयोजन में एनसीसी निदेशालय मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के नोडल अधिकारी लेफ्टिनेंट डॉ. चंद्र बहादुर सिंह दांगी द्वारा विशेष रूप से सहयोग दिया गया। शिविर के अवसर पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में जानकारी दी गई कि सिकल सेल के प्रसार को रोकने के लिए वैवाहिक संबंध जेनेटिक कार्ड के मिलान के बाद किया जाना बेहद जरूरी है। समय पर चिन्हांकन, जेनेटिक कॉउंसलिंग, वाहक और पीड़ित की ट्रेकिंग कर बीमारी के प्रसार को कम किया जा सकता है।
बताया गया कि सिकल सेल एनीमिया एक अनुवांशिक बीमारी है जो कि माता-पिता से बच्चों में पहुंचती है। यह भारत की जनजातीय आबादी में अधिक पाया जाता है, लेकिन अन्य समुदायों में भी यह बीमारी देखने को मिलती है। इस बीमारी में शरीर के अंगों में दर्द, शारीरिक विकास में कमी एवं खून की कमी मुख्य लक्षण है। यह बीमारी फेफड़े, हृदय, गुर्दे, आंखों, हड्डियों और मस्तिष्क जैसे कई अंगों को भी प्रभावित करती है। यह जनजातीय समूहों, विशेष रूप से मलेरिया बहुल क्षेत्र में रहने वाले लोगों में व्यापक रूप से पाया जाता है। जनजातीय आबादी में जन्म लेने वाले 86 में से लगभग 1 को सिकल सेल रोग की संभावना होती है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनीष शर्मा ने बताया कि सिकल सेल रोग में लाल रक्त कोशिकाएं अर्धचंद्राकार या सिकल आकार की हो जाती है। इससे ऑक्सीजन प्रवाहित होता है और व्यक्ति को तीव्र दर्द, संक्रमण व अंग क्षति जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जिले के आँगनवाड़ी केंद्रों, स्कूल, कॉलेज में सिकल सेल रोग का चिन्हांकन किया जा रहा है। विशेष रूप से आदिवासी हॉस्टल्स और स्कूल्स में स्क्रीनिंग का कार्य किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2047 तक सिकल सेल एनीमिया के उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। सिकलसेल के सबसे अधिक पीड़ित मध्य प्रदेश में हैं। वहीं, दूसरी क्रम पर ओडिशा है। प्रदेश में कुल 28128 मरीजों में से सबसे अधिक 3662 मरीज बड़वानी जिले में हैं।
यह होता है सिकल सेल?
सिकल सेल एनीमिया में लाल रक्त कोशिकाओं का आकार टेढ़ा (हंसिए की तरह) हो जाता है, जिससे पीड़ितों को खून की कमी, जोड़ों में दर्द सहित समस्याएं होने लगती है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। वाहक महिला-पुरूष के बीच विवाह संबंध बचाकर बीमारी से पीड़ित संतान के जन्म को रोका जा सकता है।
इसकी जांच जरूरी क्यो?
यदि माता-पिता दोनों को सिकल सेल बीमारी है, तो उनके बच्चों को सिकल सेल होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए शादी के पहले इसकी जांच जरूर करवा लेनी चाहिए।
कहां उपलब्ध है जांच सुविधा?
इंदौर के एमवाय अस्पताल में वर्तमान में सिकल सेल एनीमिया इलाज की सुविधा दी जा रही है। प्रदेश के एकमात्र शासकीय एमवाय अस्पताल में गर्भ में ही पता किया जा रहा है कि नवजात को सिकल सेल है या नहीं। इसके लिए यहां मालिक्यूलर लैब स्थापित की गई है। नवजात शिशुओं की 72 घंटे के भीतर होने वाली जाँच की सुविधा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में उपलब्ध है।