छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के एक गांव की 11 साल की बच्ची ने वो कर दिखाया, जो मेडिकल साइंस में नामुमकिन माना जाता है। इसी साल मार्च में आवारा कुत्ते ने बच्ची को काट लिया था। परिवार ने झाड़-फूक, देशी इलाज का सहारा लिया, लेकिन उसकी तबीयत बिगड़ने लगी।
पानी से डर लगने, मुंह से झाग आने और झपटने के लक्षण दिखने लगे। रेबीज के लक्षणों में इलाज संभव नहीं होता। लेकिन इस बार चमत्कार हुआ। बच्ची अस्पताल लाई गई, तो पागलों जैसा बर्ताव कर रही थी। अस्पताल में सिम्पटोमेटिक इलाज किया। वह मानसिक रूप से मजबूत थी। लक्षण के अनुसार दवाएं दीं, तो तेजी से रिकवर होने लगी।
डॉक्टर के अनुसार, रेबीज के लक्षण विकसित होने के बाद कभी रिकवर होते नहीं देखा है, क्योंकि विशेष एंटीरेबीज एन्सिफेलिटिक इंजेक्शन या दवा उपलब्ध नहीं है, लेकिन इच्छाशक्ति ने बच्ची को नई जिंदगी दी। बच्ची 10 दिन पहले अस्पताल में एडमिट हुई थी। 18 अक्टूबर को छुट्टी दे दी गई।
