म्यूचुअल फंड्स ने अगस्त महीने में ऑटो सेक्टर में जमकर पैसा लगाया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, जीएसटी में कटौती और फेस्टिव सीजन में बढ़ती डिमांड की उम्मीदों से फंड मैनेजर्स ने ऑटो सेक्टर में अपना निवेश लगातार दूसरे महीने बढ़ाया है। इसके चलते ऑटो सेक्टर में म्यूचुअल फंड्स का निवेश 0.50% बढ़कर 10 माह के सबसे ऊंचे स्तर 8.5% पर पहुंच गया। वहीं, दूसरी ओर फंड्स ने प्राइवेट बैंक, हेल्थकेयर, कैपिटल गुड्स, ऑयल-गैस, केमिकल्स और रियल एस्टेट सेक्टर से निवेश घटाया है।
मोतीलाल ओसवल की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त में म्यूचुअल फंड्स ने पोर्टफोलियो में बदलाव करते हुए ऑटो, टेक्नोलॉजी, टेलीकॉम और मीडिया जैसे सेक्टरों को प्राथमिकता दी। यह घरेलू खपत पर आधारित सेक्टर्स में बढ़ती रूचि को दर्शाता है। रिपोर्ट के मुताबिक जीएसटी रेट में कटौती के बाद म्यूचुअल फंड्स ने चुनिंदा ऑटो कंपनियों में निवेश बढ़ाया है। इसका सबसे बड़ा फायदा मारूति सुजूकी और टीवीएस मोटर्स को मिला है। इन दोनों कंपनियों में फंड्स का निवेश क्रमश: 8,720 करोड़ और 3,290 करोड़ बढ़ा है।
अगस्त माह में इन कंपनियों में जमकर हुआ निवेश
- मारूति सुजूकी 8,720 करोड़
- टीवीएस मोटर्स 8,650 करोड़
- अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस 3,290 करोड़
- इन्फोसिस 2,940 करोड़
- एटरनल 2,610 करोड़
प्राइवेट बैंक, ऑटो के बाद आईटी तीसरी बड़ी होल्डिंग
म्यूचुअल फंड्स ने अगस्त में आईटी सेक्टर में अपना निवेश मासिक आधार पर 0.10% बढ़ाकर 7.9% कर दिया है। यह सेक्टर अब प्राइवेट बैंक और ऑटो के बाद तीसरी सबसे बड़ी होल्डिंग बन गया है। यह बताता है कि फंड मैनेजर्स बाजार की विपरीत धारा में बहकर इस सेक्टर को एक कॉन्ट्रा बेट मान रहे हैं।
प्राइवेट बैंकों में निवेश 7 माह के निचले स्तर पर
रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त में प्राइवेट बैंक में म्यूचुअल फंड्स का निवेश 0.50% घटकर 7 महीने के निचले स्तर 17.5% पर आ गया। वहीं, हेल्थकेयर सेक्टर में भी निवेश 0.20% घटकर 2 माह के निचले स्तर 7.6% रह गया। विश्लेषकों का कहना है कि फंड मैनेजर्स इन सेक्टरों में मुनाफा बुक कर रहे हैं, क्योंकि हाल के महीनों में इनका प्रदर्शन ऑटो और इंडस्ट्रियल सेक्टरों की तुलना में कमजोर रहा है। मार्जिन पर दबाव और क्रेडिट ग्रोथ में कमी भी इसके प्रमुख कारण हैं।