आज के समय में कुछ ऐसे एआइ वीडियो जेनरेटर प्लेटफार्म आ गये है। जो कुछ शब्दों को टाइप करने पर ऐसी वीडियो तैयार कर सकते हैं, जिन्हें पहली नजर में पहचानना बिल्कुल भी आसान नहीं है। वास्तविक और सिथेंटिक कंटेंट के बीच की लाइन धुंधली हो रही है। अब ऐसे फेक वीडियों तैयार किए जा सकते हैं, जिनकी वास्तविकता का पता लगा पाना लगभग असंभव है। जो चिंताजनक भी हो सकते है। इन बातों पर नजर रखकर कुछ हद तक फेक वीडियो की पहचान की जा सकती है। आइये जानते है इन महत्वपूर्ण बातों को।
ऐसे पहचानें फेक वीडियों
एआइ जेनरेटेड वीडियो में अक्सर वाटरमार्क या एप की ब्रांडिग होती है, पर कुछ यूजर इसे एडिट करने में सक्षम होते हैं। ऐसे वीडियो बहुत छोटे, अक्सर 10 सेकंड तक के ही होते हैं। अगर किसी वीडियो की क्वालिटी बहुत अच्छी है, तो फेक हो सकते है, क्योंकि एआइ माडल इंटरनेट पर उपलब्ध फुटेज से ही ट्रेंड होते है।
एआइ जेनरेटेड वीडियो में किसी साइन बोर्ड या गाड़ी के नंबर प्लेट में अक्सर गलतियां दिख जाती है। इसी तरह वीडियो में कैरेक्टर की लिप सिंकिग में भी तालमेल का अभाव दिख सकता है। एआइ वीडियो में इस तरह की गलतियों को कब तक चिन्हित किया जा सकता है, यह तेजी से बदलती तकनीक के दौर में कह पान संभव नहीं है।
